Tuesday, January 8, 2008

हँसो जरा ध्यान से

नौकरानी ने सुशीला से कहा, मेमसाब गजब हो गया। पड़ोस की तीन औरतें बाहर आपकी सास को पीट रहीं हैं। सुशीला नौकरानी के साथ बालकनी में आई और चुपचाप तमाशा देखने लगी। नौकरानी ने पूछा, आप मदद करने नहीं जाएंगी?सुशीला: नहीं ! तीन ही काफी हैं।
ट्रेन में ऊपर की बर्थ पर बैठे एक बूढ़े बाबा बार बार बाथरूम जा रहे थे। नीचे की बर्थ पर बैठी महिला ने परेशान होकर पूछा - आपको चैन नहीं है। बूढ़े ने बड़ी बैचेनी से कहा - चेन तो है लेकिन खुल नहीं रही है।
तीन लड़के मरने के बाद यमलोक पहुंचे जहां उनके कर्मो के आधार पर फल बांटे जा रहे थे। यमदूत पहले लड़के को यमराज के सामने लाए। उन्होंने पूछा, इसका कसूर क्या है। यमदूत ने कहा, इसने अपने जीवनकाल में एक चींटी की हत्या की है। यमराज ने एक बदसूरत लड़की को बुलवाया और कहा इसे इस लड़के के साथ हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो। फिर दूसरे लड़के को पेश किया गया। यमराज ने पूछा, इसका कसूर? यमदूत ने बताया, इसने भी एक चींटी को मारा है। यमराज ने फिर एक बदसूरत लड़की को बुलवाया और कहा, इन दोनों को भी हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो। उसके बाद तीसरे लड़के का नंबर आया। यमदूतों ने बताया कि इसने अपने जीवन में कोई गुनाह नहीं किया है। फिर यमराज ने एक बेहद खूबसूरत लड़की को बुलवाया और कहा, इसे इस लड़की के साथ हथकड़ी से बांधकर छोड़ दो। लड़के ने आश्चर्य जताते हुए पूछा, जब मैने कोई गुनाह नहीं किया तो यह हथकड़ी क्यों? यमराज ने कहा, इस लड़की ने अपने जीवन में एक चींटी को मारा था।
एक प्रेमी, कबूतर के पैर में संदेश बांधकर अपनी प्रेमिका के पास भेजा करता था। एक दिन उसने बिना संदेश के ही कबूतर भेज दिया। मिलने पर प्रेमिका ने पूछा, तुमने कोई संदेश क्यों नहीं भेजा? प्रेमी ने जवाब दिया-मैने मिस कॉल की थी
रात को कब्रिस्तान में एक आदमी कब्र के ऊपर बैठा हुआ था। इतने में एक मुसाफिर उधर से गुजरा और पूछा : इतनी रात को कब्रिस्तान में बैठे हो, तुम्हें डर नहीं लगता? आदमी बोला, इसमें डरने की क्या बात है। कब्र के अंदर गरमी हो रही थी इसलिए थोड़ी देर के लिए बाहर आ गया।
पति पत्नी से, अजी, आज तो मैं छाता ले जाना ही भूल गयापत्नी : पर आपको ये बात पता कब चली। पति : मुझे पता तब चला, जब बारिश खत्म हुई तो मैंने छाता बंद करने के लिए अपना हाथ ऊपर उठाया।
मेजर (जवान से)- 'इतनी ज्यादा क्यों पीते हो? तुम्हें खबर है कि अगर तुम्हारा रिकॉर्ड अच्छा रहा होता तो अब तक तुम सूबेदार हो गए होते।'जवान (मेजर से)- 'माफ कीजिए सर, मगर बात यह है कि जब दो घूंट मेरे अंदर पहुंच जाते हैं तो मैं अपने आपको कर्नल समझने लगता हूं।'
इंस्पेक्टर बांकेलाल के घर में एक मरियल कुत्ता बंधा हुआ था।रामलाल (बांकेलाल से)- यह आवारा कुत्ता कहां से ले आए?बांकेलाल (रामलाल से)- आवारा नहीं पुलिस का कुत्ता है।रामलाल- पर लगता तो नहीं है।बांकेलाल- कैसे लगेगा, यह गुप्तचर विभाग में जो है।
मां (बांकेलाल से)- तुमने आज फिर रामलाल से लड़ाई की जबकि मैंने तुमको कई बार समझाया है कि जब भी गुस्सा आए फौरन 100 तक गिनती गिनो।बांकेलाल (मां से)- हां मां, मैं तो ऐसा ही कर रहा था पर रामलाल की मां ने उसे 50 तक ही गिनने को कहा था।
हड्डियों के दो डॉक्टर घूमने निकले। रास्ते में उन्हें एक लंगड़ाता हुआ व्यक्ति दिखाई दिया। उसे देखकर एक ने कहा- मुझे तो लगता है जैसे इसके टखने की हड्डी टूट गई है।दूसरे ने कहा- नहीं जी, टखने की नहीं, उसके घुटने की हड्डी टूटी हुई है।इस पर दोनों में बहस शुरू हो गई। तभी पहले डॉक्टर ने उसे बुलाकर पूछा- आपके टखने की हड्डी टूटी है या घुटने की।नहीं, जी मेरी तो कोई हड्डी नहीं टूटी। मेरी तो चप्पल टूटी है।

Tuesday, January 1, 2008

हास्य कविता

एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम

-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।

"हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम
दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।

आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती
सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती
शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता
तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो,
आराम करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।


अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात
-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।
मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।

जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।
अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।
मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।
- गोपालप्रसाद व्यास

Monday, December 31, 2007

रोचक जानकारी

* न्यूजीलैंड में 'मिंका' नामक एक वृक्ष पाया जाता है। उस वृक्ष के तने से मक्खन जैसा द्रव निकलता है, जो गाढ़ा भी होता है और बेहद मीठा भी। वहाँ के लोग मक्खन के बजाए उस द्रव का ही उपयोग प्रतिदिन भोजन में करते हैं।* वेस्टइंडीज के सूडानइलेह वन में एक वृक्ष पाया जाता है। इस वृक्ष को मोर्निंग ट्री (शोकाकुल वृक्ष) कहते हैं। इस वृक्ष से दिन भर संगीत की स्वर लहरियाँ निकलती हैं, मगर शाम होते ही वृक्ष से रोने की आवाज आती है।* ऑस्ट्रेलिया में 'टिनास' नामक एक वृक्ष पाया जाता है, जो साल में दो बार अपनी छाल बदल लेता है।* जावा (सुमात्रा) के समुद्र तट पर एक नरभक्षक वृक्ष पाया जाता है। इस वृक्ष के नीचे जो कोई भी प्राणी खड़ा हो जाता है, उसे यह अपनी खतरनाक टहनियों से ढँक लेता है। प्राणी मर जाता है, तो टहनियाँ अपने आप ऊपर उठ जाती हैं।* अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में हैंबेलेट स्टेट नामक एक पार्क है। इस पार्क में 'जैट सेकुजा' वृक्ष की ऊँचाई लगभग 122 मीटर है।* कोलकाता के बोटेनिकल गार्डन में एक विशाल वटवृक्ष है, जो दस एकड़ जमीन पर फैला हुआ है। यह 27 मीटर ऊँचा है तथा 241 वर्ष पुराना।

रोचक जानकारी- भूर्गभ में बहती अद्भुत नदी

भूर्गभ में बहती अद्भुत नदी
बेहद आर्श्चय की बात है ना किन्तु पृथ्वी के अनेकानेक रहस्यों की तरह यह भी सत्य है। हमारी पृथ्वी के र्गभ में करीब साढ़े सात हजार किलोमीटर लम्बी विद्युत की धारा बहती है। यह करंट की नितान्त प्राकृतिक नदी है। प्रकृति के इस विचित्र रहस्य को आस्टेलिया के तीन वैज्ञानिकों ने खोज निकाला था जो कि आस्टेलिया में चुम्बकीय क्षेत्रों का पता लगाने का वैज्ञानिक काम कर रहे थे। विस्तृत अध्ययन के बाद यह सत्य सामने आया कि भूर्गभ में कोई ऐसी महाशक्ति मौजूद है जो कि करंट का तेज झटका मारती हैई तब विशेष वैज्ञानिक तरीकों और यंत्रों से पता लगाया कि यह तो करंट की एक लम्बी धारा हैई जो पृथ्वी के तकरीबन 25 किमी नीचे बह रही है आर्श्चय तो यह है कि 25 से 35 किमी मोटाई और 60 से 250 किमी चौड़ाई की आठ हजार लम्बी यह विद्युत नदी पृथ्वी के र्गभ में करोडों र्वषों से शांत बह रही है।अगर इसकी तुलना पृथ्वी पर किसी प्राकृतिक र्पवत श्रृंखला या नदी से की जाए तो इसका आकार पृथ्वी की सबसे बड़ी र्पवत श्रंखला जितना होगा। इस विद्युत धारा के रहस्य को जानने के लिये कि आखिर भूर्गभ में करंट का र्निमाण कैसे होता हैई अमेरिकाई जापानई र्जमनी के वैज्ञानिक भूर्गभ में विशिष्ट तकनीकी वाले उपकरण लगा कर शोध में जुटे हैं। जापान के वैज्ञानिकों का अंदाज़ यह है कि पृथ्वी के बदलते चुंबकीय क्षेत्र तथा उसकी सतह पर प्राकृतिक बनावटों में हुए र्परिवतन से हुई आंतरिक प्रतिकिरियाओं के परिणाम से यह विद्युत धारा बनती रही है।
आकाश